TdsVirals न्यूज़ डेस्क, हैदराबाद – मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) के अधिकारों को लेकर तेलंगाना हाईकोर्ट ने (Telangana High Court Tuesday) मंगलवार को एक ऐतिहासिक और प्रगतिशील फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर कोई मुस्लिम महिला ‘खुला’ (Khula) के ज़रिए तलाक लेना चाहती है, तो उसे पति की रज़ामंदी (Rajamandi) की जरूरत नहीं है,
‘खुला’ महिला का संवैधानिक और धार्मिक अधिकार है। पति की सहमति आवश्यक नहीं है, यदि महिला ‘मेहर’ (Mehar) लौटाने को तैयार हो। मौलाना, शरीया बोर्ड या किसी धार्मिक संस्था को तलाक देने का अधिकार नहीं है, वे सिर्फ राय दे सकते हैं। अंतिम वैध तलाक केवल अदालत द्वारा ही मान्य होगा। महिला को तलाक लेने के लिए कोई विशेष कारण बताने की आवश्यकता नहीं।
कोर्ट ने कुरान (Qur’an) की आयतों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस्लाम (Ishlam) में भी महिला को यह अधिकार दिया गया है कि वह ‘खुला’ (Khula) के ज़रिए शादी खत्म कर सकती है। यह फैसला इस्लामी सिद्धांतों और भारत (Bharat) के संविधान दोनों के अनुरूप बताया गया।
यह निर्णय उन हजारों मुस्लिम महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है जो: नाखुश वैवाहिक जीवन में फंसी हैं, जिनके पति तलाक़ देने से इंकार करते हैं, या धार्मिक संस्थाओं की उलझन भरी प्रक्रिया में फंस चुकी हैं।

यह फ़ैसला केवल मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत में महिलाओं के कानूनी सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। यह साफ संदेश देता है कि न्यायपालिका महिलाओं के व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।









