अहमदाबाद, गुजरात (Gujarat) की प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान शुक्रवार सुबह एक चिंताजनक घटना देखने को मिली, जब एक नर हाथी अचानक बेकाबू हो गया। यह हादसा खाड़िया क्षेत्र (Khadiya Area) के पास हुआ जब रथ यात्रा अपने तय मार्ग से गुजर रही थी।
गवाहों के अनुसार, 17 हाथियों (Elephant) के जत्थे में सबसे आगे चल रहा नर हाथी डीजे और सीटी की तेज आवाज से उत्तेजित होकर 100 मीटर तक दौड़ पड़ा। इस दौरान उसने बैरिकेड तोड़े, कुछ लोगों को गिरा दिया और एक संकरी गली की ओर भाग गया। शुक्र की बात यह रही कि किसी को गंभीर चोट नहीं आई।

वन विभाग के अधिकारी आर.के. साहू (R. K. Sahu) ने जानकारी दी कि हाथी को काबू करने के लिए दो मादा हाथियों को बुलाया गया, जिनकी उपस्थिति से नर हाथी शांत हुआ। इसके बाद तीनों हाथियों को रथ यात्रा से हटा दिया गया। बाकी 14 हाथियों के साथ यात्रा शांतिपूर्वक आगे बढ़ी।
“हाथी को हाथी ही काबू कर सकता है, इसलिए मादा हाथियों को बुलाया गया,” आर.के. साहू, वन विभाग
Ahmedabad (अहमदाबाद) के उप पशुपालन निदेशक सुकेतु उपाध्याय (Suketu Upadhaya) ने बताया कि यात्रा में शामिल सभी हाथियों की स्वास्थ्य जांच की गई थी। वेटरनरी टीम लगातार 3 दिन तक उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी करती है। अगर कोई हाथी तनाव में आता है, तो उसे डार्ट गन के ज़रिए नियंत्रित किया जाता है।
- 1946 के दंगों के बीच भी रथ यात्रा निकाली गई थी, जब हाथी पर भगवान को सवार कर यात्रा शुरू की गई।
- 1985 में, एक हाथी ने यात्रा रोकने के लिए खड़ी की गई पुलिस वैन को सूंड से उठाकर फेंक दिया था, जिसके बाद भक्तों का विश्वास और गहरा हो गया था कि भगवान स्वयं यात्रा चाहते हैं।
- 1992 और 1993 के दौरान भी दंगों के बावजूद रथ यात्रा सफलतापूर्वक निकाली गई थी।
सवाल उठते हैं… क्या तेज डीजे और भीड़ के शोर को सीमित करना अब आवश्यक हो गया है? रथ यात्रा जैसे परंपरागत आयोजनों में जानवरों की भागीदारी कितनी सुरक्षित है?

यह घटना ने न सिर्फ आयोजकों को, बल्कि प्रशासन और भक्तों को भी सतर्क कर दिया है। जरूरत है कि परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन बना रहे ताकि श्रद्धा के उत्सव में कोई अनहोनी न हो।