वॉशिंगटन/नई दिल्ली – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (America President Donald Trup) ने मंगलवार को एक और बड़ी व्यापारिक घोषणा करते हुए सात नए देशों पर 30% तक के टैरिफ लगाने की बात कही है। हालांकि भारत को इस बार अस्थायी राहत मिली है, लेकिन ट्रंप ने चेतावनी दी है कि जल्द ही BRICS देशों, जिनमें भारत (Bharat) भी शामिल है, पर 10% तक का टैरिफ लगाया जा सकता है। लेकिन अभी पूरा कन्फर्म नहीं है,
Donald Trup की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब दुनिया भर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारियाँ जोरों पर हैं और वैश्विक व्यापार संतुलन एक बार फिर से राजनीतिक फैसलों के इर्द-गिर्द घूमने लगा है।
ट्रंप (Trump) ने मंगलवार को कहा कि बुधवार सुबह सात देशों (Seven Country) पर टैरिफ की अंतिम सूची जारी की जाएगी और आने वाले घंटों में और भी घोषणाएँ हो सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिण कोरिया और जापान जैसे 14 व्यापार साझेदारों को पहले ही टैरिफ संबंधी चेतावनी पत्र भेजे जा चुके हैं।
सेमीकंडक्टर्स से लेकर दवाओं तक भारी शुल्क – राष्ट्रपति Donald Trup ने आयातित उत्पादों पर कई बड़े टैरिफ का संकेत दिया है:
- तांबे के आयात पर 50% शुल्क
- दवाओं पर 200% तक का शुल्क
- सेमीकंडक्टर्स पर लंबे समय से लंबित टैरिफ लागू करने की घोषणा
उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिकी उद्योगों और नौकरियों (Job) को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए उठाया जा रहा है।
भारत को अस्थायी राहत, लेकिन खतरा बरकरार
Trump के प्रशासन द्वारा भारत को अभी तक टैरिफ की अंतिम सूची में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता अंतिम चरण में है।
CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने अमेरिका (Bharat/America) को एक मजबूत प्रस्ताव दिया है जो $150 अरब से $200 अरब के व्यापार को कवर करता है। अब अंतिम निर्णय अमेरिका के अधिकारियों को लेना है। भारत की ओर से और ज्यादा रियायतों की संभावना कम है।
ट्रंप ने एक निजी बैठक में संकेत दिया कि “भारत के साथ व्यापार समझौता अब लगभग तय है। अमेरिका पहले ही चीन और ब्रिटेन के साथ समझौते कर चुका है, अब भारत अगली प्राथमिकता है।”
1 अगस्त से लागू होंगे टैरिफ, कुछ देशों को मिला समय
पहले घोषित टैरिफ जो 9 जुलाई से लागू होने वाले थे, अब 1 अगस्त तक स्थगित कर दिए गए हैं। इसका उद्देश्य अमेरिका द्वारा व्यापार समझौतों पर बातचीत के लिए समय देना है।

ट्रंप ने सोशल मीडिया (Social Media) पर उन देशों को भेजे गए पत्र भी साझा किए हैं जिनमें साफ तौर पर लिखा है कि “टैरिफ दरें आपके साथ हमारे संबंधों पर निर्भर करेंगी।”
सबसे अधिक 40% टैरिफ म्यांमार और लाओस (Maynmar) जैसे देशों पर लगाया गया है। ट्रंप (Donald Trup) ने यह स्पष्ट किया कि यह नीति “अमेरिकन फर्स्ट” सिद्धांत को मजबूत करने के लिए है।
Donald Trup ने कहां पुराने टैरिफ फिर से लागू हो सकते है,
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने CNN को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि “जिन देशों ने अमेरिका के साथ अब तक समझौता नहीं किया है, उन पर 1 अगस्त से अप्रैल 2 की दरें फिर से लागू हो जाएंगी।”
Donald Trup
ने कहा कि राष्ट्रपति ऐसे सभी देशों को चेतावनी पत्र भेजेंगे और स्पष्ट कर देंगे कि यदि वे तेजी से कदम नहीं उठाते, तो पुराने, अधिक कठोर टैरिफ वापस आ जाएंगे।
ट्रंप की इन टैरिफ घोषणाओं का अमेरिकी शेयर बाजार पर सीधा प्रभाव पड़ा है। मंगलवार को S&P 500 इंडेक्स लगभग 1% गिरा, जबकि कई बड़ी कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट देखी गई।
- टेस्ला (Tesla) का शेयर लगभग 7% गिरा, जब CEO एलन मस्क ने एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की।
- जापान, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका की मुद्राओं में गिरावट आई।
- डॉलर (Dollar) की कीमत में तेजी देखी गई, जबकि अमेरिकी बॉन्ड्स, खासकर दीर्घकालिक बॉन्ड्स की कीमतों में गिरावट आई।
उभरते बाजार (Bazar) जैसे भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका पर भी इस नीति का असर देखने को मिल सकता है, खासकर अगर BRICS देशों पर टैरिफ लागू होते हैं।
भारत के सामने व्यापारिक संतुलन का गंभीर मौका
जहाँ एक ओर भारत को फिलहाल अमेरिकी टैरिफ से राहत मिली है, वहीं यह राहत स्थायी नहीं है। आने वाले हफ्ते भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए निर्णायक होंगे। यदि दोनों देशों के बीच समझौता सफल होता है, तो यह भारत (Bharat) के लिए न केवल टैरिफ से राहत दिलाएगा, बल्कि अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ भी प्रदान करेगा।
वहीं यदि समझौता नहीं होता, तो भारत भी अगली टैरिफ लिस्ट में शामिल हो सकता है, जिससे एक्सपोर्ट सेक्टर, खासकर फार्मा, टेक्सटाइल और स्टील उद्योग पर बुरा असर पड़ सकता है। दुनिया की निगाहें अब वाशिंगटन और नई दिल्ली पर टिकी हैं।











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