भोरे में गरमाया राजनीतिक माहौल टीडीएस वायरलस संवाददाता प्रतिभा कुमरी – गोपालगंज जिले की भोरे विधानसभा 103 एक बार फिर से सुर्खियों में है। भाकपा माले के नेता जितेंद्र पासवान ने शिक्षा मंत्री सुनील कुमार और एनडीए गठबंधन (भाजपा-जदयू) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री ने कॉलेजों में पढ़ाई बंद करवाकर राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित किया, जो लोकतंत्र और शिक्षा व्यवस्था पर सीधा हमला है।
जितेंद्र पासवान ने Facebook से live आकर कहा कि इस बार जनता खामोश नहीं बैठेगी। जितेंद्र पासवान ने सुनील कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा कि “तुम चाहे जितने अपराधियों को बाहर से बुला लो, इस बार भोरे की जनता हर गली-मोहल्ले से खदेड़ देगी।

जीतेन्द्र पासवान माले नेता ने गिनाए आरोप-जितेंद्र पासवान ने भाजपा-जदयू पर जनता के अधिकार छीनने और भ्रष्टाचार फैलाने के कई आरोप गिनाए। उन्होंने शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से जवाब मांगा कि –
- ₹12,623 करोड़ 67 लाख की डकैती का हिसाब दो।
- भोरे विधानसभा (Bhore Assembly Constituency) में 45,000 मतदाताओं के मताधिकार की डकैती क्यों हुई?
- बिहार के 94 लाख गरीब परिवारों को मिलने वाली 2 लाख की आर्थिक सहायता भोरे विधानसभा के लोगों को क्यों नहीं मिली?
- Bhore Assembly Constituency (भोरे विधानसभा) में दलितों पर हमले और जातीय भेदभाव पर सरकार चुप क्यों है?
- महिलाओं के 2 लाख तक के कर्ज माफी की गारंटी कब पूरी होगी?
- डोमिसाइल नीति में सीमावर्ती जिला के युवाओं के साथ अन्याय क्यों हो रहा है?
- संसद में अमित शाह द्वारा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के अपमान पर भाजपा और जदयू नेताओं की चुप्पी क्यों?
Bhore Assembly Constituency
माले नेता जितेंद्र पासवान ने कहा कि भाजपा-जदयू की सरकार जनता की समस्याओं से भाग रही है। गरीब परिवारों, दलितों और मेहनतकश जनता को उनका हक नहीं मिला। उन्होंने जनता से अपील की कि वे भाजपा-जदयू की “तानाशाही और भ्रष्टाचार” का करारा जवाब दें।
जितेंद्र पासवान साफ शब्दों में कहा कि “इस बार भोरे विधानसभा में भाजपा-जदयू के आतंक का अंत होगा और जनता सही प्रतिनिधि चुनेगी।
Bhore Assembly Constituency (भोरे विधानसभा) में इस आरोप के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। हर गाँव के लोग भी सवाल उठा रहे हैं कि अगर जनता को वादों का लाभ नहीं मिला, तो सरकार और जनप्रतिनिधि किसके लिए काम कर रहे हैं? विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे का असर साफ दिखाई देगा।








