लेह, लद्दाख (प्रतिभा कुमारी संवाददाता): इंडिया के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर बुधवार को हुआ विरोध प्रदर्शन अचानक हिंसक हो उठा। गुस्साई भीड़ ने लेह में बीजेपी (Bjp) दफ़्तर और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
Ladakh violent protests प्रदर्शन पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में हो रहा था, जो पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। हिंसा की घटनाओं के बाद उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया और युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की।
Ladakh violent protests _ लद्दाख के उप-राज्यपाल कविंदर गुप्ता ने बताया कि लेह ज़िले में स्थिति बिगड़ने के बाद कर्फ़्यू लगा दिया गया है। साथ ही बीएनएस की धारा 163 लागू की गई है, जिसके तहत पांच या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। ज़िला प्रशासन ने स्पष्ट किया कि पूर्व अनुमति के बिना कोई रैली, जुलूस या मार्च नहीं निकाला जा सकेगा।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। कुछ वीडियो में देखा गया कि कई वाहन जलते हुए नज़र आ रहे हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ताशी ग्यालसन खाचू ने पुष्टि की कि लेह स्थित पार्टी कार्यालय को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया और फिलहाल स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है।
सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल समाप्त की – Ladakh violent protests – सोनम वांगचुक, जो 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे, उन्होंने बीबीसी हिन्दी से बातचीत में कहा कि हिंसा देखकर वे बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा: आज लेह सिटी में व्यापक हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाओं से मैं बहुत आहत हूं। कई दफ़्तर और पुलिस की गाड़ियों को आग लगा दी गई। मैं लोगों से अपील करता हूं कि किसी भी परिस्थिति में हिंसा का रास्ता न अपनाएं।
शाम 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में वांगचुक ने बताया कि इस हिंसा में 3 से 5 युवाओं की मौत हुई है। उन्होंने शोक प्रकट करते हुए कहा कि सरकार को तुरंत ईमानदारी से संवाद करना चाहिए।
बेरोज़गारी और वादाख़िलाफ़ी से गुस्सा – Ladakh violent protests
वांगचुक ने कहा कि लद्दाख के युवा पिछले पांच साल से बेरोज़गार हैं और उन्हें नौकरियों से बाहर रखा जा रहा है। 2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से यहां बड़े पैमाने पर नॉन-गैज़ेटेड भर्तियां नहीं हुईं। पहले लद्दाख के उम्मीदवार जम्मू-कश्मीर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड और पब्लिक सर्विस कमीशन के माध्यम से आवेदन कर सकते थे, लेकिन अब यह अवसर खत्म हो गया है। नौजवानों ने इस आंदोलन को “Gen Z Revolution” बताया और कहा कि अब उनका धैर्य टूट चुका है।
हिंसा के बाद जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कहा: लद्दाख के लोग खुद को ठगा हुआ और निराश महसूस कर रहे हैं। 2019 में जब केंद्र शासित प्रदेश का दर्ज़ा मिला तो उन्होंने जश्न मनाया था, लेकिन अब उन्हें धोखा लग रहा है।
Ladakh violent protests – रामबन से एनसी विधायक अर्जुन सिंह राजू ने कहा कि लेह जैसे संवेदनशील क्षेत्र में अशांति बेहद खतरनाक है, क्योंकि यह चीन सीमा से सटा हुआ इलाका है। उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार के लिए बड़ा सबक है।

लद्दाख के लोग लंबे समय से छठी अनुसूची के तहत संरक्षण की मांग कर रहे हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत इसमें स्वायत्त जिला परिषदों का गठन किया जाता है, जिनके पास विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक अधिकार होते हैं।
छठी अनुसूची लागू होने पर बाहरी उद्योग बिना अनुमति नहीं लग सकेंगे और स्थानीय भूमि और संस्कृति की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। बीजेपी ने 2019 के चुनावी घोषणापत्र में लद्दाख को छठी अनुसूची और राज्य का दर्ज़ा देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह अधूरा है।
Ladakh violent protests – केंद्र और लद्दाख प्रतिनिधियों के बीच 6 अक्टूबर को वार्ता का नया दौर प्रस्तावित है, जिसमें लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) शामिल होंगे। हालांकि, सोनम वांगचुक ने सरकार से वार्ता की तारीख़ आगे करने की अपील की है।
Ladakh violent protests
लद्दाख Ladakh violent protests में हालिया घटनाक्रम ने साफ कर दिया है कि बेरोज़गारी, अधूरे वादे और लोकतांत्रिक मंच की कमी ने युवाओं के गुस्से को भड़काया है। लेह, जो अब तक शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का गढ़ था, अब हिंसक प्रदर्शनों की ओर मुड़ गया है।अगर सरकार ने समय रहते समाधान नहीं निकाला, तो यह असंतोष और गहरा सकता है।










