टीडीएस वायरलस संवाददाता प्रतिभा कुमारी पटना – बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बड़े चेहरे और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhari) पर पुराने आरोपों की चर्चा तेज हो गई है। विरोधी दलों ने यह सवाल उठाया है कि क्या सुशासन, नारी सम्मान और साफ सुथरी राजनीति का दावा करने वाली बीजेपी ऐसे विवादित नेता को अपने सबसे बड़े चेहरे के रूप में आगे रख सकती है?
दरअसल, Samrat Chaudhari (सम्राट चौधरी) का नाम सिर्फ राजनीतिक दल बदलने और सत्ता के करीब बने रहने तक सीमित नहीं है। उन पर ऐसे संगीन आरोप लगे हैं जिन्होंने बिहार की राजनीति और समाज दोनों को झकझोर दिया था। Samrat Chaudhari पर सबसे बड़ा आरोप है – 1999 में ‘मिस पटना’ शिल्पी गौतम रेप और ह’त्या केस से जुड़ा हुआ नाम।
शिल्पी गौतम केस क्या था? – साल 1999 में पटना विमेंस कॉलेज की छात्रा और मिस पटना का खिताब जीतने वाली शिल्पी जैन उर्फ शिल्पी गौतम की रहस्यमयी मौत ने पूरे बिहार को हिला दिया था। 2 जुलाई को कंप्यूटर क्लास जाते समय शिल्पी को कुछ लोगों ने जबरन उठा लिया और वाल्मीकि गेस्ट हाउस ले गए। वहां उसके साथ सामूहिक ब’लात्कार किया गया।

3 जुलाई 1999 को शिल्पी और उसके दोस्त गौतम सिंह की लाश पटना के फ्रेज़र रोड स्थित विधायक आवास संख्या 12 के गैरेज में कार से बरामद हुई। कार का मालिक उस वक्त के कुख्यात साधु यादव थे। शुरुआती जांच में पुलिस ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मीडिया दबाव ने इस मामले को गैंगरेप और मर्डर के रूप में सामने ला दिया।
CBI की जांच में कई बड़े नेताओं और रसूखदार लोगों के नाम सामने आए। इन्हीं नामों में सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhari) का भी जिक्र हुआ। सीबीआई ने उनके वीर्य और फिंगरप्रिंट सैंपल तक लिए थे। हालांकि, सत्ता की ताकत और सबूतों के अभाव में केस को धीरे-धीरे दबा दिया गया।
Samrat Chaudhari पर 6 ह’त्याओं का आरोप और जेल यात्रा – सम्राट चौधरी के खिलाफ दूसरा बड़ा मामला 1995 में सामने आया। मुंगेर के तारापुर विधानसभा क्षेत्र में समता पार्टी के नेता शकुनी चौधरी और कांग्रेस के नेता सच्चिदानंद सिंह के बीच कड़ा चुनावी मुकाबला हुआ।
29 मार्च 1995 को मतगणना के दिन शकुनी चौधरी के समर्थकों ने सच्चिदानंद सिंह के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी और बम भी फेंके। इस हमले में सच्चिदानंद सिंह सहित 6 लोगों की मौत हो गई।
घटना के बाद सम्राट चौधरी समेत 22 लोगों पर केस दर्ज हुआ। वे करीब 90 दिन जेल में भी रहे। निचली अदालत से लेकर सीजेएम कोर्ट तक उनकी जमानत अर्जी खारिज होती रही। आखिरकार, सम्राट चौधरी ने अपनी जन्मतिथि बदलकर खुद को नाबालिग साबित किया और जमानत हासिल कर ली। इसके बाद हत्या करवा दी गई और केस धीरे-धीरे कमजोर हो गया।
सम्राट चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने राजनीति में टिके रहने के लिए कई बार अपना नाम और जन्मतिथि बदली। आधिकारिक जन्मतिथि: 16 नवंबर 1968, जमानत के समय दिखाई गई जन्मतिथि: 1 मई 1981
इसी विवाद के कारण 1999 में जब राबड़ी देवी ने उन्हें बिना विधायक बने मंत्री बना दिया था, तो तत्कालीन राज्यपाल सूरज भान ने उनकी जन्मतिथि को लेकर आपत्ति जताई और मंत्री पद से हटा दिया।
1990 के दशक में सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhari) RJD के करीबी और राबड़ी देवी-लालू यादव के विशेष विश्वासपात्र थे। साधु यादव के साथ उनकी गहरी दोस्ती जगजाहिर थी। बाद में उन्होंने JDU का दामन थामा और अंततः बीजेपी में शामिल होकर आज उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष तक पहुंच गए। लेकिन सवाल वही खड़ा होता है कि क्या बीजेपी को बिहार में सम्राट चौधरी के अलावा कोई और चेहरा नहीं मिला?
Samrat Chaudhari
BJP खुद को नारी सम्मान और सुरक्षित कानून-व्यवस्था की पार्टी बताती है। ऐसे में विरोधियों का तंज है कि जिस नेता पर रेप और हत्या जैसे गंभीर आरोप लग चुके हों, वह पार्टी का पोस्टर बॉय कैसे हो सकता है? जनता के बीच भी चर्चा है कि क्या सम्राट चौधरी विधानसभा की कुर्सी के हकदार हैं या जेल की सलाखों के!










